Digital Eye Strain: वर्क फ्रॉम होम के दौर में डिजिटल आई स्ट्रेन! कैसे रखें अपनी आंखों को सुरक्षित?

Digital Eye Strain: आज के डिजिटल युग में हम सभी कई प्रकार के डिजिटल उपकरणों का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं। वर्तमान समय में हर कोई औसतन रोजाना 2 घंटे से अधिक समय तक कंप्यूटर, लैपटॉप, या फोन का उपयोग करता है। लैपटॉप या फोन की स्क्रीन पर अधिक समय तक देखने से आंखों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है।

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Digital Eye Strain: वर्क फ्रॉम होम के दौर में डिजिटल आई स्ट्रेन! कैसे रखें अपनी आंखों को सुरक्षित?

इससे लोगों की नजरें कमजोर होने के साथ-साथ अन्य कई समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। डिजिटल उपकरणों के अधिक उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को ‘डिजिटल आई स्ट्रेन’ कहा जाता है। आज हम आपको डिजिटल आई स्ट्रेन के लक्षण और उसकी रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

Digital Eye Strain: डिजिटल आई स्ट्रेन क्या है?

Digital Eye Strain: महामारी के दौरान कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य गैजेट्स के उपयोग में भारी वृद्धि हुई है। इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इन उपकरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें और नीली रोशनी हमारी आंखों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। यह नीली रोशनी रेटिना कोशिकाओं को फोटोकैमिकल क्षति पहुंचाकर आंखों में कई समस्याएं उत्पन्न करती है, जैसे थकान, सूखापन, धुंधलापन और सिरदर्द। इन सभी समस्याओं को सामूहिक रूप से डिजिटल आई स्ट्रेन (डीईएस) या कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। लगातार स्क्रीन के सामने रहने से यह समस्याएं और भी गंभीर हो सकती हैं, जिससे आंखों की सेहत पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

Digital Eye Strain: अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी बताती है कि डिजिटल डिवाइस को देखने से आपकी आंखों की रोशनी को नुकसान नहीं पहुंचेगा। लेकिन इससे तनाव और अप्रिय लक्षण हो सकते हैं। मनुष्य आम तौर पर हर मिनट में लगभग 15 बार पलकें झपकाता है। स्क्रीन पर घूरने पर यह संख्या घटकर आधी या तिहाई रह जाती है। इससे सूखी, चिड़चिड़ी और थकी हुई आंखें हो सकती हैं।

Digital Eye Strain: डिजिटल आई स्ट्रेन के लक्षण

  • आंखों में खुजली और सूखापन: सबसे आम लक्षण।
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता: लक्षणों को अनदेखा करने पर समस्या बढ़ सकती है।
  • धुंधला दिखाई देना: लंबे समय तक स्क्रीन देखने के कारण नजर धुंधली हो सकती है।
  • आंखों की पलकों में ऐंठन: अधिक स्क्रीन टाइम से पलकों में ऐंठन हो सकती है।
  • आंखों में सूजन: डिजिटल आई स्ट्रेन का एक और आम लक्षण।
  • रंगत में लालिमा: आंखों की रंगत में लालिमा भी हो सकती है।
  • गर्दन और कंधों में दर्द: लंबे समय तक स्क्रीन देखने के कारण गर्दन और कंधों में दर्द होना।

Digital Eye Strain: आखिर हम किस तरह डिजिटल आई स्‍ट्रेन से खुद को बचा सकते हैं?

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Digital Eye Strain: आखिर हम किस तरह डिजिटल आई स्‍ट्रेन से खुद को बचा सकते हैं?

20-20-20 नियम का पालन करें

हर 20 मिनट के बाद स्क्रीन से नजर हटाकर 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें और 20 सेकंड का ब्रेक लें। साथ ही, बीच-बीच में आँखें झपकाते रहें।

स्क्रीन सेटिंग समायोजित करें

स्क्रीन की चमक, कंट्रास्ट और फ़ॉन्ट आकार को समायोजित करने का सुझाव दें ताकि उन्हें देखने में अधिक आरामदायक बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, ब्लू लाइट फ़िल्टर या नाइट मोड सेटिंग का उपयोग करने से आँखों पर पड़ने वाले तनाव को कम किया जा सकता है, खासकर कम रोशनी वाले वातावरण में स्क्रीन का उपयोग करते समय।

उचित मुद्रा बनाए रखें

लोगों को अपनी स्क्रीन से उचित दूरी पर बैठने के लिए याद दिलाएँ (लगभग हाथ की लंबाई की दूरी पर) और स्क्रीन को इस तरह से रखें कि वे आँखों के स्तर पर या थोड़ा नीचे हों। इससे गर्दन और कंधे के तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही आँखों की परेशानी को भी कम किया जा सकता है।

सही दूरी जरूरी

स्‍क्रीन और आपके आंखों के बीच सही दूरी मेंटेन होना जरूरी है. कम से कम एक फुट की दूरी जरूरी है. आंखों से स्‍क्रीन की उंचाई नीची रहे तो बेहतर है.

सही रोशनी में काम करें

अंधेरे कमरे में काम करने से स्क्रीन की तेज रोशनी का आपकी आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, कमरे में पर्याप्त रोशनी रखें।

नियमित ब्रेक लें

लोगों को स्क्रीन टाइम रूटीन में नियमित ब्रेक शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करें। हर घंटे छोटे ब्रेक लेने से आंखों पर पड़ने वाले तनाव और लंबे समय तक बैठे रहने और स्क्रीन के इस्तेमाल से जुड़ी अन्य शारीरिक परेशानियों से बचने में मदद मिल सकती है।


आंखों की जांच

नियमित रूप से आंखों की जांच करवाने को प्रोत्साहित करें, खास तौर पर उन लोगों के लिए जो स्क्रीन का इस्तेमाल करते हुए बहुत समय बिताते हैं। एक नेत्र चिकित्सक किसी भी दृष्टि संबंधी समस्या का पहले ही पता लगा सकता है और स्क्रीन के इस्तेमाल की आदतों में उचित सुधारात्मक उपाय या समायोजन की सलाह दे सकता है।

एयर क्‍वालिटी का रखें ध्‍यान 

जिस स्थान पर आप काम कर रहे हैं, वहाँ प्रदूषण ना हो। प्रदूषण होने से आँखों में जलन और अन्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं।

आई प्रोटेक्‍टर चश्‍मे का करें प्रयोग

अगर आपको मोबाइल या लैपटॉप पर अधिक समय तक काम करना है, तो आई प्रोटेक्टर चश्मे का उपयोग करें। इससे आँखों पर पड़ने वाला तनाव कम होगा।

Digital Eye Strain: क्या है विशेषज्ञ की सलाह?

Digital Eye Strain: विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, कोरोना के कुछ वैरिएंट्स से आंखों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। कुछ मामलों में, संक्रमित लोगों को कंजंक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त, पोस्ट कोविड संक्रमण के बाद भी आंखों से संबंधित समस्याएं बनी रह सकती हैं। यदि आप कोरोना संक्रमण से गुजर चुके हैं और आपकी आंखों में लगातार समस्याएं बनी रहती हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत किसी डॉक्टर से सलाह लें।

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