Cholesterol: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारी खानपान की आदतों में बदलाव आया है। जंक फूड, बेकरी उत्पाद, रिफाइंड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन बढ़ने से लोगों में कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। इनमें हाई कोलेस्ट्रॉल भी एक प्रमुख बीमारी है।
यह लेख इस बात पर प्रकाश डालेगा कि कैसे आधुनिक जीवनशैली और खराब खानपान की आदतें कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती हैं, जिससे हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
हम शक्कर, शीतल पेय और वसायुक्त भोजन के सेवन के खतरों पर चर्चा करेंगे, साथ ही बताएंगे कि स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार अपनाकर कोलेस्ट्रॉल को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Cholesterol: कोलेस्ट्रॉल का क्या मतलब होता है?
Cholestrol: कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा पदार्थ है जो शरीर के सभी कोशिकाओं में पाया जाता है। यह शरीर को हार्मोन, विटामिन डी और पाचन में सहायक तत्व बनाने में मदद करता है। शरीर अपनी आवश्यकतानुसार कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है, लेकिन भोजन से भी अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल प्राप्त होता है। शरीर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटाने की व्यवस्था होती है, लेकिन रक्त में इसका उच्च स्तर हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों पर जमा होकर प्लाक बनाता है, जो धमनियों को संकीर्ण या अवरुद्ध कर सकता है, जिससे हृदय और मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होता है।
Cholesterol: कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण
1. असंतुलित आहार:
- अधिक संतृप्त वसा: लाल मांस, मक्खन, पनीर, केक, घी, आदि में पाए जाने वाले वसा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं।
- कम फाइबर: फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम होने से कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होता है।
2. वंशानुगत:
- यदि परिवार में किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल है तो आपको भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
3. शराब का सेवन:
- अधिक शराब पीने से लीवर और हृदय को नुकसान होता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।
4. तनाव:
- तनाव में लोग धूम्रपान, शराब और अस्वास्थ्यकर भोजन का सेवन करते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं।
5. बीमारी:
- मधुमेह और हाइपोथायरायडिज्म जैसी बीमारियां कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती हैं।
नोट: यह केवल जानकारी के लिए है, और चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। यदि आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
Cholesterol: कोलेस्ट्रॉल कम होने के लक्षण
- थकान और कमजोरी: कोलेस्ट्रॉल कम होने पर शरीर में ऊर्जा कम बनती है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
- मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन: कम कोलेस्ट्रॉल मांसपेशियों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के पहुंचने में बाधा डाल सकता है, जिससे दर्द और ऐंठन हो सकती है।
- त्वचा में सूखापन और खुजली: कोलेस्ट्रॉल त्वचा को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कम कोलेस्ट्रॉल त्वचा को रूखी और खुजलीदार बना सकता है।
- सिरदर्द: कम कोलेस्ट्रॉल रक्त प्रवाह को प्रभावित कर सकता है, जिससे सिरदर्द हो सकता है।
- चक्कर आना और बेहोशी: गंभीर मामलों में, कम कोलेस्ट्रॉल चक्कर आना और बेहोशी का कारण बन सकता है।
- ठंड लगना: कम कोलेस्ट्रॉल शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को कम कर सकता है, जिससे ठंड लगना महसूस हो सकता है।
- धीमी गति से घाव भरना: कम कोलेस्ट्रॉल घाव भरने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।
- स्मृति हानि और सोचने में परेशानी: गंभीर मामलों में, कम कोलेस्ट्रॉल स्मृति हानि और सोचने में परेशानी का कारण बन सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सभी लक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के भी हो सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपका कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है, तो डॉक्टर से परीक्षण करवाना सबसे अच्छा है।
Cholesterol: आप अपना कोलेस्ट्रॉल कम कैसे कर सकते हैं?
Cholesterol: लेस्ट्रॉल कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। पहले, पोषक आहार लें जिसमें कम सैचुरेटेड और ट्रांस फैट हो और ज्यादा फल, सब्जियां, और साबुत अनाज शामिल हों। सैचुरेटेड फैट एनीमल प्रोडक्ट जैसे रेड मीट, मक्खन और फुल फैट डेयरी प्रोडक्ट में पाया जाता है, इसलिए इनसे बचें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, बींस, दालें, नट, बीज, मछली, ऑलिव ऑयल और एवोकाडो का सेवन करें।
दूसरे, नियमित व्यायाम करें। हर दिन कम से कम 30 मिनट का मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करें, जैसे वॉकिंग, दौड़ना, बाइकिंग, स्विमिंग, डांसिंग और बागवानी। इससे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद मिलती है और स्वस्थ वजन बनाए रखने में सहायता मिलती है।
तीसरे, स्वस्थ्य वजन बनाए रखें। वजन ज्यादा होना या मोटापा आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा सकता है, इसलिए वजन कम करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में मदद मिल सकती है।
चौथे, धूम्रपान छोड़ें। धूम्रपान आपके एलडीएल लेवल को बढ़ा सकता है और एचडीएल लेवल को कम कर सकता है, इसलिए इसे छोड़कर कोलेस्ट्रॉल लेवल बेहतर कर सकते हैं और दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा कम कर सकते हैं।
पांचवे, अन्य चिकित्सीय परिस्थितियों का प्रबंधन करें। मधुमेह, उच्च रक्तचाप या किडनी की बीमारी जैसी स्थितियों का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि यह आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा सकती हैं। इनको ठीक करके कोलेस्ट्रॉल लेवल कम कर सकते हैं और दिल की बीमारी और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं।
Cholesterol: अंत में, कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच जरूरी है, खासतौर पर अगर आपको दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा हो। जीवन शैली में बदलाव और दवाओं के साथ आप अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करके दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं। अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल जांचने के लिए मेट्रोपोलिसइंडिया के प्रोफेशनल से संपर्क करें, जो आपको घर पर टेस्टिंग और सटीक परिणाम प्रदान करेंगे।
Read More: Brain Tumor: ब्रेन ट्यूमर को समझें,कहीं आप अनजाने में इसे नजरअंदाज तो नहीं कर रहे?
[…] […]