UTI (Urinary Tract Infection): पेशाब के माध्यम से शरीर से तमाम प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए इस प्रक्रिया का सही तरीके से चलते रहना आवश्यक माना जाता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) आपके यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में होने वाला संक्रमण है, जो कई प्रकार की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। यूटीआई संक्रमण किडनी, यूरेटर्स या ब्लैडर जैसे मूत्र मार्ग से संबंधित अंगों में हो सकता है। अगर इसका समय पर निदान और इलाज न कराया जाए तो कई लोगों में यह किडनी की खराबी तक का भी कारण बन सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई होने का खतरा अधिक होता है। डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ संक्रमण का इलाज करते हैं। इस लेख में हम आपको उन उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका प्रयोग करके न सिर्फ यूटीआई से बचा जा सकता है, बल्कि यह यूटीआई रोगियों की तेज रिकवरी में भी सहायक हो सकते हैं। आइए जानते हैं।
UTI (Urinary Tract Infection): यूटीआई इंफेक्शन
UTI (Urinary Tract Infection): यूटीआई (मूत्र मार्ग संक्रमण) एक ऐसा संक्रमण है जो मूत्र मार्ग को प्रभावित करता है, जिससे मूत्र करते समय जलन और दर्द का अनुभव होता है। इसके अन्य लक्षणों में बुखार आना और बार-बार मूत्र आना शामिल हैं। जब हानिकारक बैक्टीरिया मूत्र मार्ग के किसी भी हिस्से में प्रवेश करते हैं, तो वहां सूजन और संक्रमण हो जाता है। यूटीआई किसी भी हिस्से में हो सकता है, जैसे कि किडनी, ब्लैडर, मूत्रवाहिनी, या यूरेथ्रा। इस विषय में मेरी डॉक्टर कविता से बातचीत के दौरान, उन्होंने बताया कि गंदे शौचालय का उपयोग करने से यूटीआई का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए निजी अंगों की साफ-सफाई पर ध्यान देना और कुछ आसान उपाय अपनाना महत्वपूर्ण है।
आंकड़ों के अनुसार, यूटीआई एक प्रचलित संक्रमण है, जो हर साल लगभग 15 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है। हर तीन में से एक महिला 24 साल की उम्र से पहले ही मूत्र पथ में संक्रमण से संक्रमित हो जाती है और लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं 35 साल की उम्र से पहले जीवन में एक बार यूटीआई का सामना करती हैं। वहीं, मूत्र पथ में संक्रमण से ग्रसित होने वाली 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी भी हैं, जिन्हें यह संक्रमण बार-बार हो जाता है, जिसे आरयूटीआई (rUTI) कहा जाता है।
UTI (Urinary Tract Infection): यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होने के कारण
- अत्यधिक चीनी का सेवन
जो लोग अत्यधिक मात्रा में शक्कर का सेवन करते हैं, विशेषकर प्रोसेस्ड शुगर, उनमें UTI होने की संभावना अधिक होती है। - वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल
पब्लिक शौचालय में वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि इन्हें बहुत से लोग उपयोग करते हैं और उनकी बीमारियाँ आप तक भी पहुँच सकती हैं। - अत्यधिक शारीरिक संबंध
अत्यधिक शारीरिक संबंध बनाने से संक्रमण का आदान-प्रदान हो सकता है, जिससे UTI की संभावना बढ़ सकती है। - पेशाब को रोकना
पेशाब को रोक कर रखने से संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। यह आदत बच्चों और बड़ों दोनों में देखी जाती है। - गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग
लंबे समय तक गर्भ निरोधक गोलियों या अन्य तरीकों, जैसे कि टी लगवाने का उपयोग करने वाली महिलाओं में UTI होने की संभावना बढ़ जाती है। - कम पानी पीना
कम पानी पीने से शरीर से टॉक्सिन्स बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। - प्रेगनेंसी
प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिससे गुप्तांगों में खुजली और अन्य समस्याएँ हो सकती हैं और UTI की संभावना बढ़ जाती है।
UTI (Urinary Tract Infection): इस प्रकार, UTI के कई कारण हो सकते हैं और इनसे बचने के लिए उचित सावधानियाँ बरतनी आवश्यक है।
UTI (Urinary Tract Infection) के लक्षण
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) के मुख्य लक्षण:
- टॉयलेट करते समय जलन होना।
- यूरिन में ख़राब स्मेल आना।
- बार-बार बुखार आना।
- यूरिन का रंग बदल जाना।
- पेट के निचले हिस्से और कमर में दर्द होना।
ये लक्षण गंभीरता का संकेत हो सकते हैं और समय पर इलाज आवश्यक है।
UTI (Urinary Tract Infection): UTI से बचाव के तरीके
UTI (Urinary Tract Infection): बताए गए कुछ उपायों का पालन करके हम यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) से बचाव कर सकते हैं। इन उपायों में शामिल हैं:
- स्वच्छता का ध्यान रखें: पब्लिक टॉयलेट्स का उपयोग कम करें और अगर टॉयलेट गंदा है, तो उसका बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें।
- सही वाइपिंग तरीका अपनाएं: हमेशा आगे से पीछे की ओर वाइप करें ताकि एनस के बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट तक न पहुंचें। इसी प्रकार जेट स्प्रे का इस्तेमाल भी आगे से करें ताकि स्टूल बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में न जाएं।
- सही प्रकार के अंडरवियर पहनें: टाइट और सिंथेटिक अंडरवियर न पहनें क्योंकि इससे प्राइवेट पार्ट्स में अधिक पसीना आता है, जिससे बैक्टीरिया पनप सकते हैं। हमेशा कॉटन अंडरवियर पहनें और ढीली पैंट्स का चुनाव करें ताकि हवा पास हो सके।
- हाइड्रेटेड रहें: भरपूर मात्रा में पानी पीएं ताकि समय-समय पर सही मात्रा में यूरिन आ सके और बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट से बाहर निकल जाएं।
- यूरिन को न रोकें: ज्यादा समय तक यूरिन को रोकने का प्रयास न करें, क्योंकि इससे बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है।
- सामान्य सफाई का ध्यान रखें: किसी भी वेजाइनल वॉश, साबुन, शैम्पू, डिटरजेंट आदि का उपयोग प्राइवेट पार्ट्स की सफाई के लिए न करें। इससे वेजाइना का pH बिगड़ सकता है, जिससे बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।
इस प्रकार इन सरल उपायों का पालन करके हम UTI से बचाव कर सकते हैं और स्वस्थ रह सकते हैं।
UTI (Urinary Tract Infection): यूटीआई का इलाज
- डॉक्टर की देखरेख : यूटीआई का इलाज हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए।
- ओवर-द-काउंटर दवाएं न लें: खुद से ओवर-द-काउंटर दवाएं लेने की गलती से बचें।
- एंटी-बायोटिक रेजिस्टेंस: बिना डॉक्टर की सलाह के एंटी-बायोटिक्स लेने से शरीर में एंटी-बायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ सकता है, जिससे यूटीआई और फैल सकता है या बार-बार लौट सकता है।
- डॉक्टर की सलाह लें: अपने लक्षण बताकर टेस्ट कराएं, ताकि डॉक्टर सही एंटी-बायोटिक्स की खुराक दे सकें।
- पानी और जूस: पर्याप्त मात्रा में पानी और जूस पीएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
- क्रैनबेरी सप्लीमेंट्स: एंटी-बायोटिक्स के साथ क्रैनबेरी सप्लीमेंट्स भी यूटीआई के इलाज में सहायक हो सकते हैं।
UTI (Urinary Tract Infection): अंत में, यूटीआई से बचाव और इलाज के लिए सही जानकारी और सावधानी जरूरी है। नियमित रूप से हाइजीन का ध्यान रखें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। किसी भी प्रकार की असुविधा या लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर सही इलाज न केवल यूटीआई को फैलने से रोकता है, बल्कि भविष्य में इसके दोबारा होने की संभावना को भी कम करता है। ध्यान रखें कि स्वास्थ्य आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है, इसलिए इसे हल्के में न लें और आवश्यक देखभाल करें।
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