हमेशा स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक सुझाव

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Ayurvedic Health Tips Hindi Gram Chikitsa

Wellhealth Ayurvedic Health Tips

आयुर्वेद (Ayurveda) इस विश्वास पर आधारित है कि हमारा स्वास्थ्य हमारे मन, शरीर, आत्मा एवं पर्यावरण के बीच के संतुलन पर निर्भर करता है। आयुर्वेद में शरीर के तीन मुख्य तत्व माने गए हैं: वात (Vata), पित्त (Pitta), और कफ (Kafa)। जब भी इनका बैलेंस बिगड़ता है, तो रोग होने लगते हैं। यदि आप एक स्वस्थ दिनचर्या का पालन करते हैं तो समझिए कि आपका अच्छा महसूस करने और आपके अच्छा दिखने का आधा काम तो हो गया। बच्चे से लेकर नौजवान तक और गर्भवती महिला से बुजुर्गो तक, आयुर्वेद में सबके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की क्षमता है।

Ayurvedic Health Tips In Hindi: आयुर्वेद एक ऐसी पद्धति है कि इससे आप बिना किसी साइड इफेक्‍ट के अपनी प्रॉब्‍लम्‍स को दूर कर सकते हैं।

यह मौसम ऋतु बदलने का है। एक मौसम जा रहा है और दूसरा आ रहा है। सुबह-शाम अगर मौसम में ठंडक घुल जाती है तो दोपहर में तेज धूप सताती है। इस मौसम में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उन्हें अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

नीचे कुछ आयुर्वेदिक स्वास्थ्य टिप्स (Ayurvedic Health Tips) दिए गए हैं, जो आपके जीवन में आसानी से शामिल किए जा सकते हैं, और अगर आप इस बात से परेशान हैं कि आपका लाइफस्टाइल ठीक नहीं है या आप व्यायाम नहीं कर पा रहे हैं और न ही कुछ ऐसा जो आपको सेहतमंद बनाने में मदद करे, आपकी जीवनशैली और काम की व्यस्तता आपको जिम तक जाने का समय नहीं देती, तो चिंता छोड दें। आप अपने रोजमर्रा के जीवन में तथा अपने आहार में छोटे-छोटे बदलाव कर भी अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं।

1. अपनी दिनचर्या का पालन करें

 2. तीनों दोषों का संतुलन:

वात, पित्त, और कफ (Vata Pitta & Kafa): इन तीन दोषों का संतुलन अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। व्यक्ति को अपने प्रकृति के अनुसार आहार और जीवनशैली को अपनाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन प्रकार के दोष होते हैं: वात, पित्त, और कफ। इन दोषों का संतुलन हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। चलिये इन्हें समझते हैं।

वात दोष (Vata): वात दोष हमारे शरीर के मूल कार्यों को नियंत्रित करता है, जैसे कि हमारी कोशिकाओं का विभाजन, दिमाग, श्वास, रक्त प्रवाह, हृदय कार्य और आंतों के माध्यम से अपशिष्ट का निष्कासन। वात के असंतुलन से चिंता, भय, और भुलक्कड़पन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वात को संतुलित रखने के लिए ध्यान, मालिश, नियमित नींद, और गर्म खाद्य पदार्थ लाभदायक होते हैं।

पित्त दोष (Pitta): पित्त दोष पाचन, चयापचय (मेटाबॉलिज्म), और भूख से जुड़े हार्मोन को नियंत्रित करता है। पित्त के असंतुलन से क्रोध, चिड़चिड़ापन, और आवेशपूर्ण व्यवहार हो सकते हैं। पित्त को संतुलित करने के लिए, ठंडे और हल्के खाद्य पदार्थ जैसे सलाद, और योग करें।

 3. आहार:

 4. योग और प्राणायाम:

 5. ध्यान:

 6. मालिश (मसाज):

 7. जल्दी भोजन और पर्याप्त नींद:

 8. संयमित जीवनशैली:

 9. जल का सेवन:

 10. मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जुड़ाव:

अगर हमारा मन खुश है और हमारे आसपास के ज्यादातर लोगों से सकारात्मक रिश्ते हैं तो केवल यही बात हमें संतुष्ट करती है और हमें और अधिक मानसिक शांति प्रदान करती है । जब हम अपने आप से और अपने आस-पास के लोगों से सकारात्मक रिश्ते बनाते हैं, तो हम न केवल खुद अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं, बल्कि यह संबंध हमें सामाजिक समर्थन का एक मजबूत नेटवर्क भी प्रदान करते हैं, जो कठिन समय में हमारी मदद करता है।

11. नियमित रूप से व्यायाम करें:

आयुर्वेदिक जीवनशैली से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:

  1. रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठे और रोज सुबह की ताज़गी के साथ अपने दिन की शुरुआत करें ।
  2. अपने दिन की शुरुआत हल्की स्ट्रेचिंग और योग से करें इससे आपका शरीर और दिमाग ज्यादा सजग रहेंगे।
  3. जितना अधिक हो सकता है अपने आप को मोबाइल की स्क्रीन से दूर रखें और किताब या न्यूजपेपर पढ़ें। अगर आप किताब पढ़ेंगे तो आपके बच्चे भी किताब पढ़ेंगे।
  4. अपने भोजन में रंग बिरंगी फल या सब्जियां शामिल करें, अलग-अलग रंगों के फल एवं सब्जियों में अलग-अलग प्रकार के विटामिन होते हैं। अपनी साधारण थाली को इंद्रधनुष थाली (Rainbow Thali) बनाएं 🌈।
  5. अपने भोजन को अच्छे से चबाकर खाए और खाना खाते समय केवल भोजन का आनंद लें।
  6. अधिक खाने से बचें, ज्यादा तला भुना खाने से बचें, ये आपकी पाचन क्रिया को बाधित कर सकता है।
  7. अपनी उम्र और अपने शरीर के हिसाब से नियमित रूप से व्यायाम करें। नियमित रूप से व्यायाम आपके शरीर को ताकत एवं लचीलापन देता है।
  8. अपने दिन का कुछ समय प्रकृति के साथ बिताएं । इसके लिए आप बाहर के वातावरण का आनंद ले सकते हैं या फिर अपने प्रिय पशु के साथ समय बिता सकते हैं ।
  9. अपने जीवन को अधिक संतुलित और संतुष्ट बनाने के लिए सकारात्मक सोच एवं कृतज्ञता का निरंतर अभ्यास करें।
  10. अपनी आरामदायक नींद के लिए अच्छे बिस्तर का चयन करें और अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सोने के 2 घंटे पहले अपने से दूर रखें ।

आयुर्वेद विश्व की प्राचीन पद्धतियों में से एक है जो आपको प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने का रास्ता दिखाता है । आयुर्वेद का अनुसरण कर हम पर्यावरण के साथ अधिक सद्भाव के साथ जी सकता है और अपने जीवन को अधिक पूर्ण और संतुष्ट बना सकते हैं ।

अंत में हम यह कह सकते हैं कि आयुर्वेद न सिर्फ स्वस्थ शरीर बल्कि स्वस्थ मन के लिए भी आवश्यक है। आयुर्वेद हमें सिखाता है कि स्वस्थ होना सिर्फ रोगों का अभाव मात्र नहीं है बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक रूप से व्यक्ति के अच्छे होने की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति सभी सामाजिक, भावनात्मक, और शारीरिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।

Q. ग्राम चिकित्सा के स्वास्थ्य सुझाव क्या हैं?

A. ग्राम चिकित्सा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सुझाव उन सिद्धांतों और निर्देशों का संग्रह हैं जो आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान के आधार पर एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं। यह दैनिक दिनचर्या, सही आहार, शारीरिक गतिविधि, और मानसिक शांति पर जोर देते हैं।

Q. स्वस्थ जीवन क्या है?

A. स्वस्थ जीवन सिर्फ रोगों का अभाव मात्र नहीं है बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक रूप से व्यक्ति के अच्छे होने की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति सभी सामाजिक, भावनात्मक, और शारीरिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।

Q. तनाव मैनेजमेंट की आयुर्वेदिक तकनीकें क्या हैं?

A. ध्यान, योग, सही आहार, और खुद की देखभाल जैसे मसाज/मालिश: ये तकनीकें मन और शरीर को शांत करती हैं और तनाव के प्रति आपको मजबूत करती हैं।

Q. आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सुझावों में सर्वश्रेष्ठ क्या हैं?

A. हिंदी में ग्राम चिकित्सा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सुझावों में दैनिक दिनचर्या का पालन, पौष्टिक आहार, योग और प्राणायाम और तनाव प्रबंधन जैसे तकनीकों का अभ्यास शामिल हैं, जो समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।


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